रायपुर . प्रदेश में इंजीनियरिंग शिक्षा में प्रवेश का ग्राफ बीते पांच साल में सबसे कमजोर रहा। पिछले साल तो सिर्फ 27 फीसदी ही प्रवेश हो पाए। यानी 15 से अधिक कॉलेजों में प्रवेश का आंकड़ा दहाई को भी नहीं छू पाया। यही वजह है कि अब इंजीनियरिंग कॉलेज संचालक अपने कदम पीछे हटाने में ही भलाई समझा रहे हैं। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय को इस साल के लिए तीन इंजीनियरिंग कॉलेज क्लोजर यानी संस्थान को पूरी तरह से बंद करने का आवेदन कर चुके हैं। इनमें से दो कॉलेज रायपुर के हैं। बड़ी बात यह है कि प्रदेश के बड़े नामी ग्रुप का ऐसा हाल देखकर सरकार को शिक्ष्रा की स्थित का अंदाजा जरूर लगाना चाहिए।
तीन साल में 13 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद
पिछले कुछ साल से इंजीनियरिंग पर ग्रहण लगा हुआ है। यही वजह है कि तीन साल के भीतर ८ इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो गए। जबकि ५ कॉलेजों ने मर्जर का सहारा लिया। उन्होंने अपने एक कॉलेज को दूसरे में विलय कर दिया। एआईसीटीई की मर्जर नीति के तहत चाइल्ड इंस्टीट्यूट को पैरेंट्स संस्था में मर्ज करने के लिए प्रदेश में नामी कॉलेज समूहों ने सबसे पहले हामी भरी।
इस साल इनको ऑफिशियल बंद करेगा विवि
सीएसवीटीयू के अधिकारियों ने बताया कि रायपुर के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (सीआईटी) बंद करने प्रक्रिया के लिए प्रक्रिया शुरू होगी। पिछले साल पाथर्वी कॉलेज को शून्य घोषित किया गया था, जिसके विद्यार्थियों को अबके साल दूसरे संस्थान में ट्रांसफर किया गया। यानी इस साल इस कॉलेज में कोई विद्यार्थी नहीं होगा। ऐसे ही सीसीईएम कबीरनगर रायपुर भी बंद हो जाएगा।
विद्यार्थियों की होगी काउंसलिंग
विवि के कुलसचिव डॉ. केके वर्मा ने बताया कि इस साल जो कॉलेज बंद होंगे, उनके विद्यार्थियों को ट्रांसफर करने के लिए विवि उक्त कॉलेजों के छात्रों की काउंसलिंग भी कराएगा। उक्त विद्यार्थियों को ऐसे कॉलेजों की सूची मिलेगी, जिसमें उनके विषय की सीटें खाली होंगी। विद्यार्थियों को आगे के सेमेस्टर की पढ़ाई दूसरी संस्थान में पूरी करने का विकल्प मिलेगा। सबसे अहम बात ये होगी कि पुरानी संस्थान में उन्हें जितनी फीस चुकानी पड़ रही थी, उतनी ही फीस नए संस्थान में भी देनी होगी। भले ही वह प्रदेश का टॉप कॉलेज हो, मगर अधिक फीस नहीं ले पाएगा। इसके लिए विवि कॉलेजों से भी उनकी सीटों का विवरण व अनापत्ति प्रमाण पत्र लेगा।