रायपुर . प्रदेश के तमाम उच्च शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थीकोरोना (ABVP) वायरस लॉकडाउन की वजह से हलाकान हो गए हैं। लॉकडाउन ने विवि की परीक्षाएं ऐसी अटकाईं की अब इनको दोबारा लेने या न लेने का फैसला नहीं हो पाया है, लेकिन छात्र संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई में हलचल तेज हो गई है। एक तरफ एनएसयूआईने कुलपतियों को ज्ञापन सौंपकर कॉलेज के छात्रों को भी जनरल प्रमोशन का लाभ देने की मांग रख दी हैतो वहीं एबीवीपी इससे बिल्कुल जुदा है।
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एबीवीपी (ABVP) ने कहा है कि यदि कॉलेज विद्यार्थियों को जनरल प्रमोशन दिया गया तो उनका कॅरियर तबाह बर्बाद हो जाएगा। बहरहाल, कॉलेज छात्रों के जनरल प्रमोशन करने का मामला शासन के पाले में है, जिसमें जल्द ही कोईघोषणा हो सकती हैं। कुलपतियों ने अपना अभिमत कुलाधिपति को भी सौंप दिया है। विश्वविद्यालयों का कामकाज शुरू हो चुका है, ऐसे में अब परीक्षा विभाग भी अपनी तैयारी पूरी करके बैठे हुए हैं।
ABVP ने कहा, ठीक नहीं जनरल प्रमोशन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के जिला संयोजक रितेश सिंह ने बताया कि संगठन ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन भेजा है, जिसमें छात्रों को जनरल प्रमोशन नहीं देने व परीक्षा कराने की मांग है। पत्र में कहा गया है कि परीक्षा कराए बिना जनरल प्रमोशन दिया गया तो ऐसे में छात्रों के लिए भविष्य में मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
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तीन साल के डिग्री प्रोगाम में जनरल प्रमोशन दिया ही नहीं जा सकता। वहीं पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए होनहार छात्रों का हक भी मारा जाएगा। संस्था में विद्यार्थियों की संख्या एकाएक बढ़ेगी, जिससे बैठक व्यवस्था चौपट हो जाएगी। तीन वर्षों को मिलाकर (एग्रीगेट) बनता है। ऐसे में जनरल प्रमोशन से एग्रीगेट बनाने की समस्या भी होगी। प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के साथ भी यह अन्याय होगा। उनके साथ धोखा नहीं होने देंगे।
एनएसयूआई समर्थन में उतरी
एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष आदित्य सिंह ने कहा है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए परीक्षा कराना विद्यार्थियों के हित में नहीं दिख रहा। केंद्र और राज्य शासन साथ मिलकर इसका हल निकालें। विवि अधिनियम में कुछ बदलाव के बाद यह संभव है कि विद्यार्थियों को जनरल प्रमोशन दिया जा सकता है। जान हैतो जहान है। प्रथम व द्वितीय वर्षविद्यार्थियों को वैसे ही अंक दिए जाएं जैसे स्कूली बच्चों को दिया गया है।
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कोरोना पूरे देश में फैला है, हर कोई इससे वाकिफ है। ऐसे में पीजी के एडमिशन व अन्य दिक्कतों को एग्रीगेट के आधार पर दूर करने के लिए ही तो नियम बनाने की बात हो रही है। यदि परीक्षाएं होती हैं तो दुर्गसंभाग के ही सवा लाख विद्यार्थियों को सोशल डिस्टेंस बनाते हुए कैसे परीक्षा में शामिल करेंगे। हाल तो यह है कि किराएदार मकान मालिक भी छात्रों को रखने से परहेज कर रहे हैं। जो छात्र दूर दराज फंसे हुए हैं, उनको परीक्षा के लिए कैसे बुलाया जाएगा।