व्यंगकर संजय दुबे की कलम से
लॉक डाउन (Satirized by sanjay dubey) के तीसरे चरण में स्टेशनरी की दुकान खुलने के आदेश हो चुके थे। मुझे अपने लेखक मित्र के जन्मदिन में उपहार देना था।
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रवि स्टेशनरी पहुँचा तो मालिक शटर उठाये ही थे। चारो तरफ से कुतरे हुए कागज का ढेर लगा था।क्या कापी, डायरी, रजिस्टर पेन सभी पर चूहों ने जोर आजमाइश की थी।
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कृपया कर एक महंगा पेन सेट चाहिए था। उपहार देने के लिए देखिये ना, (Satirized by sanjay dubey) कोरोना का असर, 40 दिन में क्या हाल हो गया। एक तो बीमारी, दूसरा धंधा बन्द, तीसरा दूसरे जिले से हमारे सहयोगी आ नही पा रहे हैं और ये बड़ा नुकसान चूहों के कारण।
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आप दस मिनट रुक सके तो बेहतर होगा। मुझे जल्दी नहीं है, अगर आपको मदद की जरूरत हो तो ये पेन सेट जो गिरे पड़े हैं उन्हें टेबल पर करीने से रख दू।
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आप भले आदमी है,शुक्रिया, मेरे लिए बड़ी मदद (Satirized by sanjay dubey) होगी। मैं इधर उधर बिखरे पड़े पेन के सेट को उठा उठा कर टेबल में रख दिया। एक भी पेन सेट ऐसा नही था जिस पर चूहों ने दांत न लगाये हो।
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स्याही वाले पेन के ढक्कन, निब, सहित जो हिस्सा उनको मिला कुतर दिए थे। मेरा काम खत्म हुआ तो अलमारी में रखे पेन सेट को दुकानदार ने दिखाया।
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मैंने एक सेट पेन खरीद लिया।मेरे सहयोग से खुश होकर 450 रु का पेन सेट 375 रु में दे दिये। आप इन खराब पेन का क्या करेंगे?
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मैंने प्रश्न किया……फेक दूंगा। इन्हें कोई नही खरीदेगा।
बुरा न माने तो एक बात कहूं, आप जो पेन फेकना चाहते हैं वो मुझे दे दीजिए। मैं काम चलाऊ पेन बना लूंगा।
दुकानदार ने चार पांच पेन छांट कर मुझे दे दिया। मैं खुश था। एक नए सृजन के लिए।
रात के दस बज चुके थे। मैं अपने लाइब्रेरी के टेबल में स्टेशनरी से लाये पेन से एक नए पेन को बनाने में मशगूल था। डेढ़ घंटे के प्रयास में मेरा नया पेन तैयार था।
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निब में एक दिक्कत थी कि उसका पांच छ: प्रतिशत हिस्सा चूहे कुतर दिए थे। मैंने स्याही उड़ेली और मेरा सृजन पूर्ण हो चुका था।
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मुझे शोले फिल्म का सार संक्षेप लिखने का काम मिला हुआ था इसलिए मैने इस फि़ल्म के सर्वश्रेष्ठ संवाद मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, घोड़ा है, बैंक बेलेंस है, तुम्हारे पास क्या है? को लिख कर श्री गणेश करने का ठान लिया। कागज उठाया।
- सर्वश्रेष्ठ संवाद को लिख कर पढ़ा- मेले पास बंदला है, गाली है, घोला है, बेंत बेलेंत है, तुम्हाले पास त्या है? सर चकराने लगा था।
- मैंने शब्द तो संवाद के हिसाब से लिखे थे।
- मैंने दूसरा पेन उठाया उससे संवाद लिखा-मेरे पास बंगला है,गाड़ी है,घोड़ा है, बैंक बेलेंस है,तुम्हारे पास क्या है? सही लिखा गया था।
- मेरे समझ मे आ गया था कि चूहों ने निब का जो हिस्सा कुतर दिया था उसी का संभावित नतीजा था कि मेरा सृजित पेन र,ड़ को ल, ग को द, औऱ क को त लिख रहा था। तो क्या मेरा पेन तोतला है?
मैंने भी तय कर लिया कि अब शोले का सार संक्षेप इसी पेन से लिखूंगा। मैंने लिखना शुरू किया
लामगल नाम ते एत दाँव में ठाकुल बलदेव सिंह लहते थे। उनते दोनों हाथ नही थे। उनता एत नोकल था लामलाल। ठाकुल की एत बहु थी लाधा। ठाकुल पुलिस ती नोकली तिया हुआ था।
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तब ठाकुल ने दातू दब्बल सिंग को पकल कल जेल में बंद तला दिया था। दब्बल सिंग जेल तोल ते ठाकुल के घल में दया औल ठाकुल के पुले पलिवाल को माल डाला।
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बहु लाधा मंदिल दई थी तो बच गयी। ठाकुल ने तय तिया ति गब्बल को पकलने ते लिए जय ओल वीलू को बुलायेगा।
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जय ओल वीलू एक बाल ठाकुल को दातू से बचाये थे। ठाकुल ने पता तलाया। दोनों लामगल पहुँचे। स्तेतन में बसंती अपने तांदे में जय वीलू को को बैथा कल ठाकुल के घल पहुँचा देती है।
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ठाकुल दातू दब्बल को जिंदा पकलने की सुपाली देता है। लामलाल, जय वीलू को एक कमले में लुका देता है।
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थोली देल बाद तीन आदमी हमला कल देते है।जय वीलू इनतो माल के भगा देते है। ठाकुल आते बताता है ये उसी ते आदमी थे।
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ठाकुल देथना चाहता था ति दोनों में दम है या नही। तुथ दिन बाद दांव में तीन दातू आते है।ठाकुल ऊंनतो तहता है दांव वालो ने तूत्तो ते सामने लोती डालना बन्द तल दिया है।
दातू लोद होसियाली कलने वाले ही होते है ति जय वीलू दोली चला देते हैं। दातू भाग जाते है।
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गब्बल बहुत नालाज़ होता है ओल तीनों तो दोली माल देता है। होली ते दिन दब्बल, लामगल में हमला कल देता है ओल जय को सिल अपने पैल में लखने ते लिए कहता है।
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जय गब्बल ते आंख में दुलाल डाल देता है। दब्बल जान बचा कल भाग लेता है। फिल वीलू बसंती की प्लेम तहानी तलती है। गब्बल ते आदमी बसंती तो उठा कल ले जाते है।
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वीलू भी पकला जाता है।जय दोनों तो बचाता है। वीलू को दोली लाने ओल बसंती को दांव छोलकल आने ते लिए सिक्का में तास कलता है।
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वीलू जब तक वापस आता है जय मल जाता है। वीलू गब्बल को पकल लेता ओल तभी ठाकुल आते जय ता पलामिश याद दिलाता है, फिल थिला वाला दुता ते गब्बल को मालता है।थित उति समय एस पी साहब आते ठाकुल को बोलते है ति तुम तानून ते लखवाले हो। ठाकुल मान जाता हैं। वीलू बसंती तो ले कल लामगल से चला जाता है।