किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले
नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों (KRASHI KANOON) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन का आज 22वां दिन है। आज सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई होनी है। कल एक संत राम सिंह की वजह से आंदोलन और ज्यादा चर्चा में आ गया है। राम सिंह के पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें लिखा था कि बाबा ने किसानों की पीड़ा को देखते हुए खुद को गोली मार कर आत्महत्या की है।
वहीं, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है।
उधर, सरकार की ओर से बातचीत का नेतृत्व कर रहे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (KRASHI KANOON) ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर जारी आंदोलन सिर्फ एक राज्य तक सीमित है और पंजाब के किसानों को विपक्ष ‘गुमराह’ कर रहा है। हालांकि, उन्होंने आशा जतायी कि इस गतिरोध का जल्दी ही समाधान निकलेगा।
वहीं, प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों पर समझौते के लिए नए पैनल का गठन कोई समाधान नहीं है, क्योंकि उनकी मांग कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद द्वारा कानून बनाए जाने से पहले सरकार को किसानों और अन्य की समिति बनानी चाहिए थी।
आंदोलन में शामिल 40 किसान संगठनों (KRASHI KANOON) में से एक राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि उन्होंने हाल ही में ऐसे पैनल के गठन के सरकार की पेशकश को ठुकराया है। स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने ट्विटर पर कहा है, ”उच्चतम न्यायालय तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिकता तय कर सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए। लेकिन इन कानूनों की व्यवहार्यता और वांछनीयता को न्यायपालिका तय नहीं कर सकती है।
यह किसानों और उनके निर्वाचित नेताओं के बीच की बात है। न्यायालय की निगरानी में वार्ता गलत रास्ता होगा।” स्वराज इंडिया भी किसान आंदोलन के लिए गठित समूह संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल है और यादव फिलहाल अलवर में राजस्थान सीमा पर धरने पर बैठे हैं। टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) का कहना है कि इस वक्त नयी समिति के गठन का कोई मतलब नहीं है।