भिलाई . शबे बराअत Shabe-Baraat के मौके पर गुरुवार को शहर के मुस्लिम समुदाय के बीच इबादत का दौर रहा। राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मस्जिदों में नमाज अदा नहीं कराने की गुजारिश की, जिसे मुस्लिम समुदाय ने सिरआंखों पर रखते हुए अपने घरों में ही नमाज पढ़ी।
लोगों ने मगरिब की नमाज अदा करने के बाद 6 रकात नफिल अदा की। और इसके बाद यासीन शरीफ पढ़ी। करीब चार दशक में यह पहली बर्तबा है, जब शबे बराअत पर शहर की मस्जिद और कब्रिस्तान में नमाज अदा नहीं की गई।
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कमेटी ने ही फूल चढ़ाए
कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए भिलाई कब्रिस्तान इंतजामिया कमेटी की ओर से निर्देश दिए गए कि समुदाय के लोग अपनी मर्हुमों की कब्र पर फूल चढ़ाने भी कब्रिस्तान नहीं पहुंचे। कब्रिस्तान की सभी कब्रों पर कमेटी ने ही फूल चढ़ाए व रौशनी की। Shabe-Baraat सभी के लिए सामुहिक तौर पर मगफिरत की दुआ हुई।
पढ़ी कोरोना से आजादी की दुआ
इस रात में अल्लाह से मांगी गई सभी दुआएं कुबूल होती है। अल्लाह खुद अपने बंदे की मुश्किलें आसान करने उन्हें याद करता है। यह वही रात में जिसमें अल्लाह बंदे की रोजी, सेहत और उम्रदराजी खिलता है। Shabe-Baraat इस रात में अल्लाह की तालावत के बंदा अपने गुनाहों की माफी मांगता है, और अल्लाह उसे अता भी करते हैं।
इसी तरह मुस्लिम ने नफिल नमाज में अल्लाह से दफाए बला के जरिए दुख, तकलीफ और बीमारियों से जुदा रखने की दुआ मांगी। सभी मस्जिदों में ऐलान के बाद सभी के लिए सभी धर्मों और लोगों के लिए कोरोना से बचाव की दुुआ भी मांगी गई।
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अल्लाह की इबादत
कोरोना की वजह से मस्जिदों में जाने की पाबंदी थी, इसलिए लोगों ने अपने-अपने घरों से ही पूरी तरह अल्लाह की तिलावत की। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इबादत में मशगूल दिखे। नमाज-ए-नफिल आदयगी के साथ ही मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुरान की तिलावत में पूरी रात गुजारी। हर कोई अल्लाह से जुडक़र अपने गुनाहों की माफी और आगे के लिए तंदुरुस्ती व रिज्जक मांगने में लगा रहा।