HINDI NEWS : समाचारों की दुनिया में हिन्दी
भारत में हिन्दी समाचारों (HINDI NEWS) की दुनिया का विशेष स्थापन है। भारत की अधिकांश आबादी हिन्दी भाषी क्षेत्रों में आता है लिहाजा हिन्दी समाचारों की दृष्टि से भारत में हिन्दी का बोलबाला है।
कई अखबार, पत्र-पत्रिकाएं और न्यूज चैनल्स के जरिए लोग हिन्दी में समाचारों को ग्रहित करते हैं। भारत में हिंदी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है।
खास बात ये है कि 2011 के जनगणना के आधार पर 43.63% लोगों ने अपनी मातृभाषा हिन्दी को बताया है।
जाहिर है हिन्दी समाचारों और पुस्तकों सहित साहित्यों की भी मांग देश में बहुतायात होती है।
HINDI NEWS : दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा

हिन्दी (HINDI NEWS) दुनिया की 10 शक्तिशाली भाषाओं में से एक है.. या यूं कहें तो हिंन्दी आज किसी भी वैश्विक भाषा के समकक्ष खड़ी है। दुनिया में सबसे ज्यादा बोले जाने वाले भाषाओं में हिन्दी का तीसरा स्थान है। यानि दुनिया की तीसरी बड़ी भाषा का तमगा है हिन्दी के नाम।
दुनिया में तकरीबन 70 करोड़ हिन्दी भाषी लोग हैं। वहीं 1.12 अरब अंग्रेजी बोलने वाले हैं लिहाजा अंग्रेजी ही सबसे पहले स्थान पर है। लेकिन इससे हिन्दी की महत्ता कम नहीं हो जाती बल्कि पूरी दुनिया अब हिन्दी का लोहा मामने के लिए तैयार है।
चीनी भाषा मेंडरिन बोलने वाले करीब 1.10 अरब लोग इस दुनिया में मौजूद है और यह दूसरे स्थान पर है।
वहीं 51.29 करोड़ लोग स्पैनिश बोलते हैं जिनका स्थान चौथे नंबर है तो 42.2 करोड़ लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा अरबी पांचवे स्थान पर है।
ऐसा नहीं है कि हिन्दी (HINDI NEWS) को सिर्फ एक भाषा के तौर पर ही दुनिया में स्थान मिल रहा हो बल्कि हिन्दी बोलने और सीखने वाले भी मजबूर हो रहे हैं इस भाषा में काम करना। क्योंकि इतनी बड़ी आबादी में बोले जानी वाली भाषा को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता।
चाहे वह बड़ी व मल्टीनेशनल कंपनियां हो या फिर अपने उत्पादों को भारतीय बाजार में भेजने वाले व्यवसायी.. सभी ने हिन्दी को महत्ता को स्वीकार करना शुरू कर दिया है। और तो और वहां ऐसे लोगों की नियुक्ति भी की जाती है जो हिन्दी के जानकार हो।
कईयों ने माना है हिन्दी का लोहा
दरअसल दिसम्बर २०१६ में विश्व आर्थिक मंच ने १० सर्वाधिक शक्तिशाली भाषाओं की जो सूची जारी की थी जिसमें हिन्दी भी एक है।
इसी प्रकार ‘कोर लैंग्वेजेज’ नामक साइट ने दुनिया की दस सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषाओं में हिन्दी को स्थान दिया था। के-इण्टरनेशनल ने वर्ष २०१७ के लिये सीखने योग्य भाषाओं में नौ भाषाओं में हिन्दी को भी स्थान दिया है।
HINDI NEWS : संयुक्त राष्ट्र में भी साप्ताहिक हिन्दी बुलेटिन

हिन्दी का एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के तौर पर स्थापित करने के लिए कई जगह विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन को एक व्यवस्था देने के उद्देश्य से ११ फरवरी २००८ को विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना भी की गई।
संयुक्त राष्ट्र रेडियो ने भी अपना प्रसारण हिन्दी (HINDI NEWS) में भी शुरू किया है। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाए जाने के लिए भारत सरकार तमाम कोशिशें भी कर रही है।
अगस्त २०१८ से संयुक्त राष्ट्र ने साप्ताहिक हिन्दी समाचार बुलेटिन भी शुरू किया था।
HINDI NEWS : आधुनिक संचार सुविधाओं में हिन्दी
अब दुनिया की तमाम मोबाईल की बड़ी छोटी कंपनियां अपने प्रोडक्ट में ऐसे मोबाईल हैंडसेट बना रही है जो हिंदी और भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करते हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां हिंदी जानने वाले कर्मचारियों को वरीयता दे रही हैं। हॉलीवुड की फिल्में हिंदी में डब हो रही हैं और हिंदी फिल्में देश के बाहर देश से अधिक कमाई कर रही हैं।
HINDI NEWS. हिंदी, विज्ञापन उद्योग की पसंदीदा भाषा बनती जा रही है। गूगल, ट्रांसलेशन, ट्रांस्लिटरेशन, फोनेटिक टूल्स, गूगल असिस्टैन्ट आदि के क्षेत्र में नई नई रिसर्च कर अपनी सेवाओं को बेहतर कर रहा है।
हिंदी और भारतीय भाषाओं की पुस्तकों का डिजिटलीकरण जारी है।
सोशल साईट्स में हिन्दी HINDI का बोलबाला
फेसबुक और व्हाट्सएप हिंदी और भारतीय भाषाओं के साथ तालमेल बिठा चुके हैं। क्योंकि सबसे ज्यादा यूजर भारत में भी है और अधिकतर हिन्दी भाषी।
सोशल मीडिया ने हिंदी में लेखन और पत्रकारिता के नए युग का सूत्रपात किया है और कई जन आन्दोलनों को जन्म देने और चुनाव जिताने-हराने में उल्लेखनीय और हैरान करने वाली भूमिका निभाई है।
सितम्बर २०१८ में प्रकाशित हुई एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार हिन्दी में ट्वीट करना अत्यन्त लोकप्रिय हो रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों से पुन: ट्वीट किए गए १५ सन्देशों में से ११ हिन्दी के थे।
हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का बाजार इतना बड़ा है कि अनेक कम्पनियाँ अपने उत्पाद और वेबसाइटें हिन्दी (HINDI NEWS) और स्थानीय भाषाओं में ला रहीं हैं।
HINDI NEWS : हिन्दी.. कम्प्यूटर और इंटरनेट

- कम्प्यूटर और इन्टरनेट ने कुछ दशकों से दुनिया में एक क्रांति ला दी है। आज कोई भी भाषा कम्प्यूटर और तथा कम्प्यूटर जैसे दूसरे उपकरणों से दूर रहकर लोगों के साथ जुड़ी नही रह सकती।
- कम्प्यूटर के विकास के शुरूआती काल में अंग्रेजी को छोड़कर विश्व की अन्य भाषाओं के कम्प्यूटर पर प्रयोग की दिशा में बहुत कम ध्यान दिया गया, नतीजतन सामान्य लोगों में यह गलत धारणा फैल गयी कि कम्प्यूटर अंग्रेजी के अलावा किसी दूसरी भाषा या लिपि में काम नहीं कर सकता।
- लेकिन यूनिकोड Unicode के आने के बाद हालातों में काफी तब्दीलियां देखने को मिली। 19 अगस्त 2009 में गूगल ने कहा की हर 5 वर्षों में हिन्दी की सामग्री में 94% बढ़ोतरी हो रही है।
- जाहिर है हिन्दी (HINDI NEWS) की इंटरनेट पर एक अच्छी खासी उपस्थिति है। गूगल जैसे सर्च इंजन हिन्दी को प्राथमिक भारतीय भाषा के रूप में पहचानते हैं। इसके साथ ही अब अन्य भाषा में लिखे शब्दों का भी अनुवाद हिन्दी में किया जा सकता है।
- फरवरी २०१८ में एक सर्वेक्षण के हवाले से खबर आई है कि इंटरनेट की दुनिया में हिंदी ने भारतीय उपभोक्ताओं के बीच अंग्रेजी को पछाड़ दिया है।
- यूथ 4 वर्क की इस सर्वेक्षण रिपोर्ट ने इस आशा को सही साबित किया है कि जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रसार छोटे शहरों की ओर बढ़ेगा, हिंदी और भारतीय भाषाओं की दुनिया का विस्तार होता जाएगा।
मजबूरन करना पड़ा हिन्दी में काम
पूरी दुनिया में अंग्रेजी की महत्ता है ऐसे में तीसरे नंबर की भाषा हिन्दी को लेकर पहले इतनी संजीदगी नजर नहीं आती थी जितनी अब आने लगी है।
इस समय हिन्दी में websites, Blogs, email, chat, web-search, SMS सहित अन्य सामग्री सर्व सुलभता से उपलब्ध हैं। इस समय इंटरनेट पर हिन्दी में ट्रांसलेशन के संसाधनों की भी भरमार है और नित नए कम्प्यूटिंग उपकरण आते जा रहे हैं।
लोगों मे इनके बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करें।
शब्दनगरी जैसी नयी सेवाओं का प्रयोग करके लोग अच्छे हिन्दी साहित्य का लाभ अब इंटरनेट पर भी उठा सकते हैं।
सिंध से कैसे हुआ हिंन्द
वैसे तो हिन्दी वास्तव में फारसी भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ हिन्दी या हिंद से संबंधित है। हिन्दी शब्द की उत्पत्ति सिन्धु अर्थात सिंध से हुई है।
ईरानी भाषा में ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ किया जाता था। इस प्रकार हिन्दी शब्द वास्तव में सिन्धु शब्द का प्रतिरूप है। कालांतर में हिंद शब्द संपूर्ण भारत का पर्याय बनकर उभरा।
इसी ‘हिन्द’ से हिन्दी शब्द बना। आज हम जिस भाषा को हिन्दी के रूप में जानते है वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है जिसे दैव भाषा कहा जाता है।
वैदिक भाषा में वेद, संहिता एवं उपनिषदों-वेदांत का सृजन हुआ है। वैदिक भाषा के साथ-साथ ही बोलचाल की भाषा संस्कृत थी, जिसे लौकिक संस्कृत भी कहा जाता है।
संस्कृत का विकास उत्तरी भारत में बोली जाने वाली वैदिक कालीन भाषाओं से माना जाता है। अनुमानत: ८ वी. शताब्दी ईसा पूर्व में इसका प्रयोग साहित्य में होने लगा था।
संस्कृत भाषा में ही रामायण तथा महाभारत जैसे ग्रन्थ रचे गए। वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, अश्वघोष, माघ, भवभूति, विशाख, मम्मट, दंडी तथा श्रीहर्ष आदि संस्कृत की महान विभूतियां है। इसका साहित्य विश्व के समृद्ध साहित्य में से एक है।
भाषा का परिवर्तन
संस्कृतकालीन मूल बोलचाल की भाषा बदलते-बदलते 500 ईसा पूर्व के बाद तक काफ़ी बदल गई। इसे तब ‘पाली’ कहा गया। महात्मा बुद्ध के समय में पाली लोक भाषा थी और उन्होंने पाली के द्वारा ही अपने उपदेशों का प्रचार-प्रसार किया।
संभवत: यह भाषा ईसा की प्रथम ईसवी तक रही। पहली ईसवी तक आते-आते पालि भाषा और परिवर्तित हुई। तब इसे ‘प्राकृत’ की संज्ञा दी गई। इसका काल पहली ईस्वी से 500 ईस्वी तक है।
पाली की विभाजित भाषाओं के तौर पर प्राकृत भाषाएं- पश्चिमी, पूर्वी ,पश्चिमोत्तरी तथा मध्य देशी , अब साहित्यिक भाषाओं के रूप में स्वीकृत हो चुकी थी, जिन्हें मागधी, शौरसेनी, महाराष्ट्री, पैशाची, ब्राचड तथा अर्धमागधी भी कहा जा सकता है।
आगे चलकर प्राकृत भाषाओं के क्षेत्रीय रूपों से अपभ्रंश भाषाएं प्रतिष्ठित हुई। इनका समय 500 ई. से 1000 ई. तक माना जाता है।
अपभ्रंश भाषा साहित्य के मुख्यत: दो रूप मिलते है – पश्चिमी और पूर्वी। अनुमानत: 1000 ई. के आसपास अपभ्रंश के विभिन्न क्षेत्रीय रूपों से आधुनिक आर्य भाषाओं का जन्म हुआ।
अपभ्रंश से ही हिन्दी भाषा का जन्म हुआ। आधुनिक आर्य भाषाओं में जिनमे हिन्दी भी एक है। इसका जन्म 1000 ई. के आसपास ही हुआ था लेकिन उसमे साहित्य रचना का कार्य 1150 या इसके बाद आरंभ हुआ।
तेरहवीं शताब्दी से हिन्दी में साहित्य रचना
अनुमान है कि तेरहवीं शताब्दी में हिन्दी भाषा में साहित्य रचना का कार्य शुरू हुआ। यही कारण है कि हजारी प्रसाद द्विवेदी जी हिन्दी को ग्राम्य अपभ्रंशों का रूप मानते है।
आधुनिक आर्य भाषाओं का जन्म अपभ्रंशों के विभिन्न क्षेत्रीय रूपों से इस प्रकार माना जा सकता है। अपभ्रंश जो आधुनिक आर्य भाषा तथा उपभाषा है। पैशाची जो कि लहंदा और पंजाबी बना। ब्राचड जिसका क्षेत्रीय अपभ्रंष सिन्धी है। महाराष्ट्री जो मराठी हुआ।
अर्धमागधी जिसे पूर्वी हिन्दी कहा गया। मागधी जिसमें बिहारी, बंगला, उड़िया, असमिया भाषा बना। शौरसेनी जिसमें पश्चिमी हिन्दी, राजस्थानी, पहाड़ी और गुजराती का विकास हुआ।
इन विवरण से स्पष्ट है कि हिन्दी भाषा का उद्भव अपभ्रंश के अर्धमागधी, शौरसेनी और मगधी रूपों से हुआ है।
‘हिंदी’ शब्द की उत्पत्ति

HINDI NEWS : हिन्दी शब्द का संबंध संस्कृत शब्द सिंधु से माना जाता है। सिंधु.. सिंध नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे।
यह सिंधु शब्द ईरानी में जाकर हिंदू, हिन्दी और फिर हिंद हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिंद शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया।
इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द+ईक) ‘हिंदीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इंडिया’ आदि इस ‘हिंदीक’ के ही विकसित रूप हैं।
हिंदी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्दी के ‘जफरनामा’ (1424) में मिलता है।
प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने अपने हिंदी एवं उर्दू का अद्वैत नाम से आलेख में हिंदी की उत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में ‘स्’ ध्वनि नहीं बोली जाती थी।
‘स्’ को ‘ह्’ रूप में बोला जाता था। जैसे संस्कृत के ‘असुर’ शब्द को वहाँ ‘अहुर’ कहा जाता था। अफ़ग़ानिस्तान के बाद सिंधु नदी के इस पार हिंदुस्तान के पूरे इलाके को प्राचीन फ़ारसी साहित्य में भी ‘हिंद’, ‘हिंदुश’ के नामों से पुकारा गया है।
और यहां की किसी भी वस्तु, भाषा, विचार को अपनी सुविधा के अनुसार ‘हिन्दीक’ कहा गया है जिसका मतलब है ‘हिन्द का’।
यही ‘हिन्दीक’ शब्द अरबी से होता हुआ ग्रीक में ‘इन्दिके’, ‘इन्दिका’, लैटिन में ‘इन्दिया’ तथा अंग्रेज़ी में ‘इण्डिया’ बन गया।
अरबी एवं फ़ारसी साहित्य में भारत (हिंद) (HINDI NEWS) में बोली जाने वाली भाषाओं के लिए ‘ज़बान-ए-हिन्दी’, पद का उपयोग हुआ है। भारत आने के बाद अरबी-फारसी बोलने वालों ने ‘ज़बान-ए-हिंदी’, ‘हिंदी ज़बान’ अथवा ‘हिंदी’ का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया।
भारत के गैर-मुस्लिम लोग तो इस क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा-रूप को ‘भाखा’ नाम से पुकारते थे ‘हिंदी’ नाम से नहीं।
अपभ्रंश की समाप्ति और आधुनिक भारतीय भाषाओं के जन्मकाल के समय को संक्रांति काल कहा जा सकता है।
हिन्दी का स्वरूप शौरसेनी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से विकसित हुआ है। १००० ई. के आसपास इसकी स्वतंत्र सत्ता का परिचय मिलने लगा था।
तब अपभ्रंश भाषाएं साहित्यिक संदर्भों में प्रयोग में आ रही थीं। यही भाषाएं बाद में विकसित होकर आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के रूप में बदल गई।
अपभ्रंश का जो भी मूल रूप था वही आधुनिक बोलियों में विकसित हुआ।
मातृभाषाओं के तौर पर हिन्दी का स्थान
HINDI NEWS : 1998 से पहले मातृ भाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आंकड़े मिलते ते उसमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था।
सन् 1997 में ‘सैन्सस ऑफ़ इंडिया’ का भारतीय भाषाओं के विश्लेषण का ग्रन्थ प्रकाशित होने तथा संसार की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को द्वारा सन् 1998 में भेजी गई यूनेस्को प्रश्नावली के आधार पर उन्हें भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के तत्कालीन निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन द्वारा भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट के बाद अब विश्व स्तर पर यह स्वीकृत है कि मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से संसार की भाषाओं में चीनी भाषा के बाद हिन्दी का दूसरा स्थान है।
चीनी भाषा के बोलने वालों की संख्या हिन्दी भाषा से अधिक है किन्तु चीनी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा सीमित है। अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा अधिक है किन्तु मातृभाषियों की संख्या अंग्रेजी भाषियों से अधिक है।
विश्व भाषा बनने के सभी गुण

HINDI NEWS : हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसमें विश्वभाषा बनने के तमाम गुण मौजूद हैं। बीसवीं शती के अंतिम दो दशकों में हिन्दी का अंतर्राष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है।
हिन्दी एशिया के व्यापारिक जगत में धीरे-धीरे अपना स्वरूप बढ़ाकर भविष्य की अग्रणी भाषा के रूप में स्वयं को स्थापित कर रही है। वेब, विज्ञापन, संगीत, सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिन्दी की मांग जिस तेजी से बढ़ी है।
जिस रफ्तार से हिन्दी का विकास हो रहा है वैसी किसी दूसरी भाषा में तेजी देखने को नहीं मिल रही है।
दुनिया की तकरीबन 150 विश्वविद्यालयों और सैकड़ों छोटे-बड़े केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है। विदेशों में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिन्दी में प्रकाशित हो रही हैं।
यूएई के ‘हम एफ-एम’ सहित अनेक देश हिन्दी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
हिन्दी और जनसंचार
यदि बात हिन्दी (HINDI NEWS) की हो रही और हिन्दी सिनेमा का जिक्र म हो तो हिन्दी पर बात अधूरी ही रह जाएगी।
मुम्बई के बॉलीवुड यानि हिन्दी फ़िल्म उद्योग पर भारत के करोड़ो लोगों की धड़कनें टिकी रहती हैं। हर चलचित्र में कई गाने होते हैं।
हिन्दी और उर्दू (खड़ी बोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों मे उपयुक्त होती हैं।
प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं।
अधिकतर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं। यहां कुछ लोकप्रिय सिनेमा है जैसे महल (1949), श्री ४२० (1955), मदर इंडिया (1957), मुग़ल-ए-आज़म (1960), गाइड (1965), पाकीज़ा (1972), बॉबी (1973), ज़ंजीर (1973),
यादों की बारात (1973), दीवार (1975), शोले (1975), मिस्टर इंडिया (1987), क़यामत से क़यामत तक (1988), मैंने प्यार किया (1989), जो जीता वही सिकन्दर (1991), हम आपके हैं कौन (1994), दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995),
दिल तो पागल है (1997), कुछ कुछ होता है (1998), ताल (1999), कहो ना प्यार है (2000), लगान (2001), दिल चाहता है (2001), कभी ख़ुशी कभी ग़म (2001), देवदास (2002), साथिया (2002), मुन्ना भाई एमबीबीएस (2003), कल हो ना हो (2003), धूम (2004), वीर-ज़ारा (2004), स्वदेस (2004), सलाम नमस्ते (2005), रंग दे बसंती (2006) इत्यादि।
हिन्दी राष्ट्रभाषा…!
अभी तक राष्ट्रभाषा के विषय में भारतीय संविधान में कुछ भी नहीं कहा गया है लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा कहा था।
उन्होने 29 मार्च 1918 को इंदौर में आठवें हिन्दी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की थी इसी दौरान उन्होंने अपने सार्वजनिक मंच पर पहिली बार आ्हान किया था कि हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि कोई भी राष्ट्र अपनी राष्ट्रभाषा के बिना गूंगा होता है। उन्होने तो यहां तक कहा था कि हिन्दी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है। यहां बताना लाजिमी होगा कि आजाद हिन्द फौज का राष्ट्रगान ‘शुभ सुख चैन’ हिन्दी में था।
उनका अभियान गीत ‘कदम कदम बढ़ाए जा’ भी हिन्दी में था।
दुनिया ने भी स्वीकारी हिन्दी की महत्ता

- फिजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद एवं टोबैगो एवं संयुक्त अरब अमीरात में हिंदी HINDI NEWS को अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा प्राप्त है।
- भारत को बेहतर ढंग से जानने के लिए दुनिया के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी HINDI NEWS का अध्ययन अध्यापन होता है।
- अमेरिका में 32 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है।
- ब्रिटेन की लंदन यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज और यॉर्क यूनिवर्सिटी में हिंदी HINDI पढ़ाई जाती है।
- जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों ने हिंदी HINDI भाषा और साहित्य के अध्ययन को अपनाया है। कई संगठन हिंदी का प्रचार करते हैं।
- चीन में 1942 में हिंदी अध्ययन शुरू। 1957 में हिंदी HINDI रचनाओं का चीनी में अनुवाद कार्य आरंभ हुआ।
महापुरुषों का मत हिन्दी के प्रति
- “हिंदी को गंगा नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा“ (आचार्य विनोबा भावे)
- “यद्यपि मैं उन लोगों में से हूं, जो चाहते हैं और जिनका विचार है कि हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।“ (लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक)
- “यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प तड़प कर जान दे देती है।” (सुभाषचंद्र बोस)
- “संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।” (डॉ. फादर कामिल बुल्के)
- “सच्चा राष्ट्रीय साहित्य राष्ट्रभाषा से उत्पन्न होता है।” (वाल्टर चेनिंग)
- “राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।” (महात्मा गाँधी)
- “हिंदी विश्व की महान भाषा है।” (राहुल सांकृत्यायन)
- “हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।” (मैथिलीशरण गुप्त)
- “जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।” (डॉ. राजेन्द्रप्रसाद)
- “हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।” (पं. जवाहरलाल नेहरू)
- “हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।” (स्वामी दयानंद सरस्वती)
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