नई दिल्ली. कोरोना वायरस के लिए भारत में भी अब वैक्सिन तैयार हो रहा है। इस वैक्सिन की सबसे खास बात यह है कि इसे कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पहुंचाने के लिए नाक का सहारा लिया जाएगा। ऐसे में बाकी देशों में बनाई जा रही वैक्सिन से यह ज्यादा सेफ माना जा सकता है।
पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना वायरस की चपेट में है। ऐसे में यह खबर लोगों को राहत देने वाली हो सकती है लेकिन फिलहाल इसे आने में अभी वक्त लगेगा। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कोरोफ्लू CoroFlu नाम की वैक्सीन विकसित कर रहा है। यह दवाई किसी इंजेक्शन से शरीर में नहीं डाली जाएगी बल्कि इस वैक्सीन की बूंद को संक्रमित शख्स के नाम में डाला जाएगा।
इस वैक्सीन का नाम कोरोफ्लू (वन ड्रॉप कोविड-19) नेजल वैक्सिन है। कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। क्योंकि इससे पहले भी फ्लू के लिए बनाई गई दवाइयां सुरक्षित थीं। भारत बायोटेक ने यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन और फ्लूजेन कंपनी के साथ समझौता किया है। इन तीनों के वैज्ञानिक मिलकर इस वैक्सिन को विकसित कर रहे हैं।
कोरोफ्लू विश्व विख्यात फ्लू की दवाई एम2एसआर के आधार से बनाई जा रही है। इसे योशिहिरो कावाओका और गैब्रिएल न्यूमैन ने मिलकर बनाया था। एम2एसआर इनफ्लूएंजा बीमारी की एक ताकतवर दवा है। जब यह दवा शरीर में जाती है तो वह तत्काल शरीर में फ्लू के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाती है। इस बार योशिहिरो कावाओका ने एम2एसआर दवा के अंदर कोरोना वायरस कोविड-19 का जीन सीक्वेंस मिला दिया है।
इस वैक्सिन का अभी क्लिनिंकली ट्रायल बाकी है। कंपनी द्वारा इंसानों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल इस साल के अंत में करने पर विचार कर रही है। तब तक इसका परीक्षण यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन की प्रयोगशाला में चलते रहेंगे।