भिलाई . देशभर में कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सीख दी जा रही है, लेकिन लोग है कि मानने तैयार ही नहीं है। ऐसे में अब लोग चाहकर भी सोशल डिस्टेंस को नहीं तोड़ पाएंगे। बीआईटी दुर्ग में ईटीएंडटी विषय से इंजीनियरिंग कर रही 6वें सेमेस्टर की छात्रा आकांक्षा श्रीवास्तव ने ऐसी एक alarm cap कैप तैयार की है, जिसे पहनकर आप खुद ब खुद सोशल डिस्टेंस का पालन करने लग जाएंगे। इस कैप को सिर पर लगाने के बाद जैसे ही कोई व्यक्ति एक मीटर के दायरे में आएगा कैप में अलार्म बजना शुरू हो जाएगा। यह अलार्म बजना तब तक बंद नहीं होगा जब तक कि वो व्यक्ति आपके साथ डिस्टेंस मेंटेन नहीं कर लेता।
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दो दिनों में तैयार कर दिया डिवाइस
आकांक्षा ने बताया कि लॉकडाउन में वह अपने पापा के साथ बैठकर बात कर रही थी, तभी बातों-बातों में इसका आइडिया मिला। पापा योगेश कुमार एक सरकारी कर्मचारी है। तकनीक के बारे में उनको ज्यादा नहीं पता, लेकिन फिर भी उन्होंने बेटी के इस आइडिया पर मदद की। महज दो दिनों में ही इस डिवाइस के हाईवेयर के साथ सॉफ्टवेयर कोडिंग पूरी कर ली। आकांक्षा ने बताया कि टोपी हो या फिर हेलमेट इसके ऊपर एक छोटा सा डिवाइस लगाया गया है, जिसमें सेंसर लगे हैं। डिवाइस में डिस्टेंस की रेंज और alarm cap अलार्म को सेट किया जा सकता है।

खुद से रोटेट होगा कैप पर लगा डिवाइस
इस डिवाइस की खासियत यह है कि यह 360 डिग्री में रोटेट हो सकता है। यानी किसी भी ओर से कोई दायरे के करीब आ गया तो कैप पर लगा डिवाइस अलार्म बजाना शुरू कर देगा। इससे दोनों को पता चल जाएगा कि वे सोशल डिस्टेंस फॉलो नहीं कर रहे हैं, और उन्हें पीछे की तरफ हटना पड़ेगा।
इनके लिए बड़ा काम आएगा
आकांक्षा ने बताया कि यह डिवाइस खासकर मेडिकल स्टाफ के बड़े काम आएगा। अस्पतालों में मरीजों के साथ डिस्टेंसिंग मेंटेन करने में alarm cap मदद मिलेगी। इसी तरह मेडिकल स्टाफ अभी गली-मोहल्ले में घूमकर मरीजों की जांच कर रहे हैं, ऐसे में वह जब वहां जाएंगे तो खुद की हिफाजत के लिए भी इसका बड़ा उपयोग कर सकेंगे। पुलिस के लिए भी काम आएगा।
कैसे किया तैयार
लॉकडाउन में जहां युवा इस समय वेब सीरीज और गेम्स खेल कर समय काट रहे हैं, वहीं आकांक्षा जैसे विद्यार्थी अपनीे पढ़ाई और नॉलेज का फायदा उठा रहे हैं। आकांक्षा ने बताया कि ये डिवाइस एम्बेडेट सिस्टम माइक्रो कंट्रोलर और अल्टा सोनिक सेंसर का उपयोग करके तैयार किया है। इसके लिए कंप्यूटर कोडिंग भी करनी पड़ी। सबसे खास बात यह है कि इसे बनाने में महज 500 रुपए का खर्च आया है।